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मार्च 10, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तुरीयं ते धाम

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तिन अवस्थाये एक निद्रा दूसरी जाग्रत और तीसरी यह संसार !!आश्चर्य यह है की हम सब निद्रा के धाम से यह संसार में आते रहते है ! कमाल तो देखो जब निद्रा मै लीन होते है तब किसीकी भी चिंता नहीं रहती आग लगे या लोटरी लगे !! कुछ फर्क नहीं बनता !! इसी लिए निद्रा भगवती देवी !! ऐसा भी देवी के स्तोत्र में है ! इसीका उपियोग डाक्टर भी कर लेते है जिससे दर्दी को शांति मिले। और गम में डूबा शराबी बनकर घूम लेता है !! यह सब आरटीफिसियल निद्रा प्राप्त करके उपाय कर लेते है ! वैसे निद्रा देवी ही है । निद्रा में से बार बार संसार में आते है । इसीलिए तो जब मर जाते है तब कहते है चिर निद्रा में चला गया !किन्तु वैसे नहीं है। निद्रा में रह रहा जो वह वो संसारी के लिए जिन्दा है । उसको निष्क्रिय समाज के भी उसकी हाजरी तो गिन ही लेते है । कारण वो जागने वाला है !! निद्रा जगत के आलावा एक जगत होता है वो है स्वप्न जगत !! स्वप्न में मिनीटो में कई दुनिया भी घूम लेते है । अक्स्मतो दुःख आनंद सब संसार की भाति उसमे अनुभव कर लेते है ! कमल की यह भी दुनिया है । इसी दुनिया से जब जागते है तो अच्छा स्वप्न खोने का दुःख होता है और बु