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सितंबर 6, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जनता जनार्दन है ???

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जैसे धन का भार है वैसे ज्ञान का भी है ! अरे ! थोडा कुछ जाना तो अहम् पीड़ा बन  जाता है ! याद रहे आप ज्ञानी है तो आपकी कदर होनी ही चाहिए यह बात की जीद ठीक नही !कई बार मूर्खो की सराहना करते लोगो को देखकर गुस्सा आयेगा यही तो माया है !!जनता जनार्दन है ??? हर बार समाज जनार्दन नहीं होता !! कई  बार गुंडे जैसे को  भी इलेक्शन में जीता देते है ये लोग !! गणेश की मूर्ति को दूध पिलाना !! राम के बनबास समय सितात्याग उस समय धोबी को मौन समति से देखकर सीताजी का जीवन अस्तव्यस्त इसी समाज ने किया है !!क्यों नहीं फटकारा था उस धोबी को !!पुरे समाज ने जेल तोड़ डाली  होती तो सोक्रेटिस बच जाता !!इसीलिए येही बाते ज्ञानी के अहंकार को प्रगट में ला कर शिख भी देती है की यह तो दुनिया है !!! तेरी तो क्या ऐसे कही महान लोगो की क्या हालत करी है दुनिया ने !! ज्ञान का भार नहीं होना चाहिए !! बस ज्ञान से अज्ञान का दूर होना ही बड़ी बात है ! समाज में रहना है तो इसी समाज से पैसे और कीर्ति की कमाई करनी होती है !! किन्तु अपनी जो  बात है वो भी तो पैदाइश है नई !! इसी दुनिया को देना है !! तो रबिन्द्र नाथ का एकला चलो रे वोही सच्चा है