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जनवरी 3, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एकादश रूद्र

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एकादश रूद्र के नाम गायत्री विज्ञानं नमक पुस्तक मै महेश,रूद्र,विष्णु,ब्रह्मा,इन्द्र,प्रजापति, ध्रुव, रूशी, सूर्य,ग्रह,उपग्रह कहे है शास्त्रीय नाम वीरभद्र,शम्भू,गिरीश,अजेइक्पद,अहिर्बुद्न्य, पिनाकी,अपराजित,भुवानाधिस्वर,कपाली,स्थाणु,भग है प्रश्नोपनिषद में जगत के सञ्चालन के लिए ११ देवताये प्रतिनिधि है ! पञ्च महाभूत पञ्च इन्द्रिय और प्राण !! अष्ट वासु मै पृथ्वी,जल,वायु,अग्नि,आकाश,मन,बुध्धि,अहंकार है !! देह मै मूलाधार मै महेश,स्वधिस्थान मै रदर,मणिपुर मै विष्णु,अनाह्रुत मै ब्रह्मा,विशुध्ध मै इन्द्र,स्कंध मै प्रजापति,मस्तके ध्रुव,करना मै ऋषि और दोनों नेत्र मै सूर्य एवं चन्द्र है !! यही बात यज्ञोपवित मै बताई गई है !! तंतु देवता ओमकार,अग्नि,नाग,सोम,पितृ,प्रजापति,अनिल,यं और विश्वेदेव है !! ग्रंथि देवता ब्रह्मा,विष्णु और इन्द्र है !! इथारिक देह का वर्णन मै इमोशनल ,मेंटल,एस्ट्रल,इत्रिक,सेलेलियल,केथ्रिक टेम्पलेट कहते है !! वैसे ३६ तत्वों का अध्यात्मिक वर्णन है ! -- Rajendraprasad Vyas B.Sc.(maths),M.A.(Sanskrit),Jyotishacharya(m.s.u.) DEOJYOTISHALAYA.6,sahajanan

कोई तालिया तो बजाओ

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अद्भुत कहेने की बात ! पानी लो ! पानी लो !! मालूम होते हुए भी समज नहीं सकते !! मुर्ख की दौड़ की बाते कर नहीं सकते !! श्रोता समजते क्यों नहीं है ? यही अज्ञान है !!जो ज्ञान को परोसना चाहते है वो तो उन लोगो के पास है या तो उन लोगो को जरुर नहीं है !!!बेकार का भार उठाए हुए है या तो ये कोई ऐसी कीमत वाली चीज़ नहीं है !रास्ता भी देखना जरुर नहीं है !! कूआ बन जा !! आयेगा वो प्यास बुजायेगा | नहीं पिएगा तो क्या नुकशान है तेरा !! कूए को चिल्लाने की जरुरत नहीं है - पानी लो ! पानी लो !!! पानी लो !!!!! पानी को तो पानी का रास्ता करने का है !! ज्ञान भी इश्वर की ही सम्पति है उसे जहा जाना है वहा जाय !! क्योकि कही भी जा सकता है !! यही तो कुदरत की लीला है !! यहाँ देखने जायेंगे तो शिक्षक जैसी  वेदना है . जिसे कुछ कहेना है वो कहता ही जाता है . मैंने अब कईबार सुखी लोगो के शादी ब्याह के प्रोग्रामो में गाने वाले का हल देखा है ! कईबार तो कोई सुनता ही नहीं होता है उन गायकों को ! अरे बहोत अच्छे गायक का भी दया जनक हाल होता है !! अरे कोई तालिया तो बजाओ ऐसा कहना पड़ता है ! बस यह का जवाब है शिक्षक बनो !! क्लास