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जुलाई 22, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यह तो प्रकाश है !!

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जो बाटने  से घटता  है वो ज्ञान नहीं अज्ञान ही है !! देखने जाओ तो ज्ञान प्रकाश है ! अन्धकार नहीं ! इसे फैलना ही अपने आप की आदत है !! जो सहज है । मैंने यह श्लोक ब्राह्मण की स्वभाव वर्णं में देखा है यजनं  याजनं अध्ययन अध्यापन दानो दान प्रतिग्रहम-- बहोत  ऊँची बात यह है की ब्राह्मण का कर्त्तव्य हे यज्ञ  करना और करवाना ! अध्ययन करना और करवाना !!  दान लेना और देना !! एक अद्भुत समुदाय जो भारत में हुआ वह ब्राह्मण है !! आर्थिक चक्र के आज के माहोल में हमने इस जाती के विकासके  बदले पोलिटिकल चक्कर में इसे धीरे धीरे खोना चालू किया है !! हमने उबलते दूध में मलाई की ओंर उसके विकास का ध्यान कम दिया है !! विरोधी वर्गों ने भारतीय आर्थिक नहीं इसके ज्ञान भंडार पर भी युक्ति पूर्वक हमला किया जान पड़ता है !! अमीरी गरीबी के चक्कर में ज्ञान के भंडार खो गए है !! जो ब्राह्मण का बच्चा पढाई में होशियार होता है वो ज्यादाकर  के डाक्टर कोम्पुटर इजनर में जाने लगा है !! भारत की सच्ची शक्ति ज्ञान ही है !! आज विकसि त देशो के मुल्को में देखेंगे की उनकी प्रगति का सच्चा रहस्य पैसा नहीं ज्ञान ही है !! रिसर्च शोध विज्ञानं के आ

स्त्री ओ में आकर्षण एवं टकटक करने की कला

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जीवन गति है !! चैतन्य गति है !! जो अव्यक्त है !!जड़ में भी गति जरुरी है . जो  उसके अणु ओ में चैतन्य फैला कर प्रकाश फैलाती है . जड़ तो नाशवंत है !!इसीलिए तो  + और - है !!  यिन  और याँग !! लओत्ज़े को समजो !! अर्धनारीस्वर की मूर्ति को समजो !! स्त्री  ओ में आकर्षण  एवं   टकटक करने की  कला से तो पुरुषो  में काम  नाम का आवेग गति और क्रोध नाम का आवेग गति पैदा होती है !! यह दोनों आवेग गति के लिए जरुरी  है !!यही ही मन ये गति है वह  बात समज में आती  है !! अर्थात मन एक गति है वो मन तत्व है !! ज्योतिष  इसे चन्द्र से जोड़ा है !! आत्म तत्व  सूर्य को !!जैसे गुरु तत्व !! यह दोनों अवकाश में है !! और ज्योतिष में अवकाश है गुरु !!! सेक्स का जन्म भी इसके पीछे का रहस्य है !!देव योनि में सेक्स नहीं है पारवती ने अपने मेल से गणेश बनाया था !! विष्णु ने नाभि से ब्रह्मा पैदा किया !! वगैरह !! आज भी अमीबा श्वेतकण वगैरह में पुरुष स्त्री नहीं होता स्वयं विभाजित होकर वृद्धि करते है !! बिल्ली कुत्ते मनुष्य़  वगैरह में एकत्व नहीं है !!+ और - अलग है !! पुरुष और स्त्री !! इसीलिए अकेली स्त्री या पुरुष अधूरा है इसीलिए

श्रध्दा इश संकल्पे !!

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ममत क्या है ? ये अपना ओपिनियन है !! मेरा ही ओपिनियन सही है यह  मान के चलना  ममत है ! और यह चीज़ ज्यादा राजकारण और धर्मो में चलती है !! फिर तो समज लो इसे लोग समजे फोलो करे और मेंबर बने !! इसीके चक्कर  में देखो तो कई काम  होते रहे है !!! अरे बड़े बड़े युध्ध भी हो जाते है !! और मेंबर बने मोब का तूफानों का तो क्या कहने !!   इश्वर की बनाई  इस  दुनिया में सच तो यह है की इश्वर के संकल्प में हमें श्रध्दा हो !! सर्व सम्मति भी कई बार मोब बन जाती है !!इसीलिए श्रध्दा इश  संकल्पे  !! परमात्मा के संकल्प को  ही सबसे बड़ा मानना चाहिए !!  अच्छे अच्छे लोग पूरी ज़िन्दगी इसमें फस जाते है !!  अरे देखो कई लोग तो मरते दम तक  ये भी नहीं तय कर पाते  की ये दुनिया बनाने वाला कौन है  !!! गुमशुदा जिंदगी खुद की होते हुए भी दूसरो को रह  दिखाता है !!