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निधि अर्थात सम्पति।

निधि अर्थात सम्पति। नव  निधि के प्रकार है !! कुछ लोगो के पास सम्पति अपनी एक ही पीढ़ी में में  खत्म हो जाती है !! कुछ  लोगो की सम्पति अगले पुत्र पौत्रादि तक चलती है !! यह भाग्य की बात है !! जैसे रोग भी वारिस  में जाते  रहते है !! पद्म यह भाग्य शैली सत्वगुणी धातु फल निरंतर है    महापद्म  सत्वगुण रत्नादि वेपार ७ पेढ़ी  मकर तमोगुणी उच्च लोगो से सम्बन्ध शास्त्र और चौर जैसे लोगो से अंत १  पीढ़ी   कच्छप यह तमोगुणी है १  पीढ़ी रहती है   मुकुंद  रजोगुणी   १  पीढ़ी रहती है नन्द तमोगुणी १/८ पीढ़ी   निल सत्व+रज: गुनी ३ पीढ़ी रहती है   शंख  राज:+तम: गुनी १ पीढ़ी रहती है !! इसलिए अपनी सम्पति का भी भुक्तने की आयु डोरी है !! बच्चे सम्हाल सकेंगे की नहीं !!! वास्तु ज्योतिष से इसका मार्गदर्शन मिल सकता है  कुण्ड  इसक़ाफ़ल  विचित्र है 

आयुर्वेद ज्योतिष

नीच के सूर्य की महादशा या अन्तर्दशा में ज्वर ,कुष्ठ,शिरोरोग,होता है। ।ब्रुहद निघण्टुरत्नाकर  … गर्भ स्थापन  गर्भदम  वटशृङ्गान्तु  …… पुष्येण  समाहृतम। ।   वट श्रृंग याने वट  के फल शुक्ल पक्ष में पुष्य नक्षत्र में लेकर पिने से गर्भ स्थापन शक्ति बढाती है !! . ... ६   में  शनि-हर्शल। राहु केतु मंगल नेप्ट्यून  रोग कष्ट करता करता है !! हर्शल से समाज में न आये ऐसे रोग होते है !! मंगल सारंगढ़ हर्निया शनि वधारवाल राहु केतु मंगल भगन्दर !!