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चीख है राम की !!

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बार बार मुझे रामायण का धोबी स्मरण में आता है !! हर समाज में ऐसे धोबी है  !!अपनी ज्ञाति जमात में देखो ऐसी आईटम मिल जाएँगी !! जो रामायण बनाते है !! और दुःखकी बात यह भी है कभीकभी पूरा समाज ऐसे धोबीयो को इलेक्शन में वोट दे डालता है !!सिर्फ एक धोबी ने कुछ शंका प्रगट की सभी लग गए उसके पीछे और सीता को वन मे जाना पड़ा !! और पूरी जिंदगी को रामायण बना डाली !! क्यों नहीं फटकारा था उस धोबी को !! स्वयं समाज में देखो हम कई बार ऐसे धोबी यो की बात सुनते है !! और रामायण बना डालते है !! यही तो शिख है रामायण की और चीख है राम की !!लोकतंत्र में ऐसे धोबी का होना और ऐसे को महत्व देना यही गलत बात है । हम मतदार को सावधान रहना ही होगा ! लोकतंत्र के विकास को और मजबूत बनाना होगा !!