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जून 29, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अपने अपने हिसाब से

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यह विश्व में पृथ्वी के कई  जिव है !! हर एक जीवात्मा अपने अपने हिसाब से जिंदगी जीता है !! गजब की बात तो तब लगती है जब इंसान दो वक्त की रोटी के लिए भटकता है !! अरे इन समाज में ऐसा तो फंस जाता  है कि खाने पीने की व्यवस्था नहीं कर पाता है !!अब मेरे भाई इस सृष्टि के रहस्य महान रचना कार  परम तत्व को  कैसे जान पायेगा!! यह आध्यात्मिक विषय है ।इसी लिए आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश के लिए भी पहले स्वस्थ बनाना ही  होगा !!बाकी भूखे को क्या राम क्या इसु क्या अल्लाह !!कुछ बदमाश धार्मिक गुरु ऐसे फंसे हुए  को आध्यात्मिक शराब पिलाते है और बड़ी भीड़ दिखाके शो करते है !! भीड़ बढाओ शो करो   महान बन जाओ !! ये भूखे या लालचु लश्कर इकठ्ठा करने से ईश्वर के दर्शन नहीं होंगे !!जो 100 रुपये तक कमा लेना नहीं जानता उसे हम जिस सृष्टि में जीते है उसके रचना कार महान तत्व  जिसकी कीमत लगाई जा न सके उसे जान लेने की बात कैसे हो पायेगी !! खुद तन मन धन  जैसी क्षुल्लक सामान्य चीज़ को पा नहीं सकता वो ये विराट परम तत्व को कैसे जान सकेगा !! अध्यात्म का रास्ता तब ही सही ही पायेगा जब तुम  सामान्य जीवन से संतुष्ट  तो बनो !!

ज्ञान ज्योति में राम रे

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तन दौड़ैत है मन ही फंसत है हँसत आत्म ज्ञान रे मन बुद्धि है लगाम ज्ञान की ज्ञान ज्योति में राम ....... ये तो मैं थोड़ा हु।ए पंच  भूत सागर में ये मेरा राजू नामक देह प्रकाश है।प्रतिक्षण आवेग से दौड़ता !! ये लिखना तो इसी देह प्रकाश क्रिया का कर्म प्रकाश है !! कुर्वन्ति ते तू कर्म प्रकाशम !! ..... हरी से दूर भयो मिली माया !! कौन कहत तू काहे फसाया !! .... ईश्वर से ईश्वर ।